आंध्रप्रदेश, बिहार ने उठाई विशेष दर्जे की मांग, पीएम मोदी ने दिया आश्वासन

आंध्रप्रदेश, बिहार ने उठाई विशेष दर्जे की मांग, पीएम मोदी ने दिया आश्वासन

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नीति आयोग की बैठक में आंध्रप्रदेश और बिहार जैसे राज्यों को विशेष दर्जा प्रदान करने की मांग पर कहा कि केंद्र सरकार राज्यों के बंटवारे के समय तय किए गए वैधानिक प्रावधानों को अक्षरश: पालन करने को प्रतिबद्ध है. नीति आयोग की प्रबंध समिति की चौथी बैठक के बाद संवददाताओं को बैठक की जानकारी देते हुए आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ राज्यों द्वारा विशेष दर्जा की मांग पर केंद्र सरकार का रुख स्पष्ट किया.

आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने राज्य को विशेष केटेगरी का दर्जा प्रदान करने की अपनी लंबित मांग का मुद्दा उठाया जिसे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समर्थन दिया. इस पर प्रधानमंत्री ने उन्हें वैधानिक प्रावधानों का पालन करने का आश्वासन दिया.

राजीव कुमार ने बताया, “कुछ राज्यों ने विशेष दर्जा का मुद्दा उठाया. बातचीत वैधानिक प्रावधानों पर केंद्रित थी, जोकि राज्यों के बंटवारे के समय तय किए गए थे. प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार उन प्रावधानों का अनुपालन अक्षरश: करने को प्रतिबद्ध है.”

Nitish kumar

राजीव कुमार ने कहा, “विस्तृत योजना तैयार की जा रही है और एमएसपी 1.5 गुना बढ़ाने के प्रधानमंत्री के वादे को पूरा करने के लिए राज्यों को कई विकल्प प्रदान किए जाएंगे.”

कुमार ने कहा कि नीति आयोग (पूर्व में योजना आयोग) के अध्यक्ष प्रधानमंत्री ने किसानों के मसलों की जांच-पड़ताल के लिए एक समिति का गठन करने का निर्देश दिया है. नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने बताया कि विचार-विमर्श के दौरान राज्यों को अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लक्ष्य तय करने का सुझाव भी दिया गया.

विपक्ष ने की मांग- 50 फीसदी चुनाव EVM और आधा बैलेट पेपर से हो

विपक्ष ने की मांग- 50 फीसदी चुनाव EVM और आधा बैलेट पेपर से होनई दिल्ली : विपक्षी दलों ने हाल ही में उपचुनावों के दौरान ईवीएम में कथित गड़बड़ी के हवाले से आधा चुनाव ईवीएम से और आधा मतपत्र से कराने की मांग उठाई है. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलामनबी आजाद की अगुवाई में विपक्षी दल के नेताओं का प्रतिनिधिमंडल आज शाम चुनाव आयोग से यह मांग करेगा.

चुनाव आयोग के समक्ष मुद्दा उठाएगा विपक्ष

आजाद की अध्यक्षता में आज जनता दल यू, समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल के नेताओं की बैठक में ईवीएम की गड़बड़ी के मुद्दे को एकजुट होकर चुनाव आयोग के समक्ष उठाने का निर्णय किया गया. बैठक में मौजूद एक नेता ने बताया कि इस साल के अंत तक गुजरात और हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव की आधी सीटों पर ईवीएम से और आधी सीटों पर मतपत्र से मतदान कराने की आयोग से मांग करने पर बैठक में सहमति बनी है.

ईवीएम से छेड़छाड़ का विपक्ष का है आरोप

ऐसा होने पर ईवीएम में छेड़छाड़ की लगातार बढ़ रही शिकायतों से समूची निर्वाचन प्रणाली पर उठ रही शंकाओं का भी निराकरण हो सकेगा और मशीनों में छेड़छाड़ नहीं हो सकने के चुनाव आयोग के दावे की पुष्टि हो जायेगी. विपक्षी दल एकजुट होकर भविष्य में होने वाले सभी चुनावों में पेपर ट्रेल मशीन (वीवीपीएटी) से चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं. जबकि कांग्रेस ईवीएम में कथित छेड़छाड़ के मद्देजनर मशीन के बजाय मतपत्र के इस्तेमाल पर जोर दे रही है.

विपक्ष के नेता उठाएंगे मु्द्दा

एक नेता ने कहा, ‘इस व्यवस्था को बनाए रखने के लिए आवश्यक किसी भी बुनियादी सिद्धांत के उल्लंघन पर तत्काल एवं गंभीरता के साथ कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता है.’ संसद भवन परिसर स्थित आजाद के कार्यालय में हुई बैठक में कांग्रेस नेताओं अहमद पटेल, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल और विवेक तनखा के अलावा जदयू नेता अली अनवर अंसारी, तृणमूल नेता सुखेंदु शेखर रॉय, बसपा नेता सतीश मिश्रा और सपा नेता नीरज शेखर मौजूद थे. राकांपा नेता मजीद मेमन, माकपा नेता डी राजा और राजद नेता जे पी नारायण यादव भी बैठक में मौजूद थे. सभी नेताओं ने इस मुद्दे को मजबूती से चुनाव आयोग के समक्ष उठाने का निर्णय लिया है.

EVM को बलि का बकरा न बनाएं, बैलेट पेपर को वापस लाने का सवाल ही नहीं : चुनाव आयोग

EVM को बलि का बकरा न बनाएं, बैलेट पेपर को वापस लाने का सवाल ही नहीं : चुनाव आयोग

कोलकाता : देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने चुनावों के लिए बैलेट पेपर को वापस लाने की सभी संभावनाओं को खारिज करते हुए कहा कि ईवीएम को बलि का बकरा बनाया जा रहा है, क्योंकि मशीनें बोल नहीं सकतीं और राजनीतिक दलों को अपनी हार के लिए किसी न किसी को जिम्मदार ठहराने की जरूरत होती है. मर्चेट्स चेंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित ‘निर्वाचन ईमानदारी और चुनावों में धन की भूमिका’ पर आयोजित एक इंटरएक्टिव सत्र में यहां रावत ने कहा, “प्रणाली की ईमानदारी के बारे में वास्तव में कुछ भी नहीं है, हालांकि जब भी इस मुद्दे पर सवाल उठते हैं, हम स्पष्टीकरण देते हैं.”

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने पिछली जुलाई को सर्वदलीय बैठक में घोषित किया था कि आगे से सभी चुनाव वोटर वेरिफियेबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) मशीनों के साथ ईवीएम का प्रयोग करके किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि मतदान प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए ईवीएम के साथ वीवीपैट का प्रयोग भी किया जाएगा.

रावत ने कहा कि राजनीतिक दलों द्वारा ईवीएम को आसानी से बलि का बकरा बना दिया जाता है, क्योंकि वह बोल नहीं सकती और राजनीतिक दलों को अपनी हार का ठीकरा फोड़ने के लिए किसी न किसी चीज की जरूरत होती है.

 

 

 

 

योगी के नेतृत्व में 5 में 4 उपचुनाव हार चुकी है BJP, 2019 पर क्या होगा असर?

योगी के नेतृत्व में 5 में 4 उपचुनाव हार चुकी है BJP, 2019 पर क्या होगा असर?

 

लखनऊ: 2017 विधानसभा चुनाव में मोदी लहर का असर बरकरार रहा और बीजेपी जबरदस्त बहुमत के साथ सरकार बनाई. लेकिन, एक साल के भीतर बीजेपी हांफती नजर आ रही है. योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में उत्तर प्रदेश में बीजेपी चार उपचुनाव हार चुकी है. योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद उत्तर प्रदेश में तीन लोकसभा और दो विधानसभा उपचुनाव हुए हैं. इनमें से बीजेपी चार उपचुनाव हार गई, जबकि केवल एक विधानसभा चुनाव जीत पाई है. 28 मई को उत्तर प्रदेश में कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा के लिए उपचुनाव हुए. दोनों सीटों पर पहले बीजेपी का कब्जा था. अब दोनों सीटें बीजेपी सी छिन चुकी है. नूरपुर विधानसभा उपचुनाव में सपा के नईमुल हसन ने बीजेपी की प्रत्याशी अवनी सिंह को हराया. जबकि, कैराना लोकसभा उपचुनाव में राष्ट्रीय लोकदल की प्रत्याशी तबस्सुम हसन ने बीजेपी की मृगांका सिंह को भारी मतों से हराया.

सिकंदरा विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी की जीत हुई थी

सीएम योगी के सीएम बनने के बाद कानपुर की सिकंदरा विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक मथुरा पाल का निधन हो गया. उपचुनाव में उनके बेटे अजित सिंह पाल, बीजेपी प्रत्याशी, ने सपा के सीमा सचान को करीब 12000 वोटों से हराया. उसके बाद सभी चार उपचुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के प्रदेश राजनीति में लौटने के बाद गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ. दोनों सीटों पर सपा की जीत हुई.

गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव से शुरू हुआ हार का सिलसिला

गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ थे. उपचुनाव में बीजेपी ने उपेंद्र दत्त शुक्ल को मैदान में उतारा. सपा ने प्रवीण कुमार निषाद को उनके खिलाफ खड़ा किया. सपा प्रत्याशी प्रवीण कुमार ने बीजेपी प्रत्याशी को करीब 22000 वोटों से हरा दिया. फूलपुर के सांसद केशव प्रसाद मौर्य थे. उपचुनाव में बीजेपी ने कौशलेंद्र सिंह को मैदान में उतारा. सपा ने उनके खिलाफ नागेंद्र प्रताप सिंह को मैदान में खड़ा किया. सपा प्रत्याशी ने बीजेपी प्रत्याशी को करीब 60 हजार वोटों से हरा दिया.

कैराना और नूरपुर में बीजेपी की बुरी हार

मई 2018 में कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा के लिए उपचुनाव हुए. कैराना में रालोद की तबस्सुम हसन ने बीजेपी की मृगांका सिंह को करीब 55 हजार वोटों से हरा दिया. नूरपुर में सपा के नईमुल हसन ने बीजेपी की अवनी सिंह को करीब 6200 लोटों से हराया. इस चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए बीजेपी ने एड़ी चोटी की जोड़ लगा दी थी.

2019 में होने वाले चुनाव पर दिखेगा असर

2019 लोकसभा चुनाव में बहुत ज्यादा वक्त नहीं रह गया है. अगर बीजेपी को केंद्रीय सत्ता में वापस लौटना है तो उत्तर प्रदेश में उसी जीत को दोहराना होगा, जो 2014 में मिली थी. आगामी लोकसभा चुनाव के लिहाज से यह उपचुनाव बहुत अहम है. बीजेपी की आगे की क्या रणनीति होगी यह आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन जिस तरह तमाम विपक्षी दल एक साथ सुर से सुर मिला रहे हैं, वैसी स्थिति में बीजेपी के लिए 2014 को दोहराना आसान नहीं होगा.