

परंतु इतने संवेदनशील और दर्दभरे मुद्दे पर भी उनकी “राजशाही अदाएँ” कम नहीं हुईं — सोफे पर पैर पर पैर रखे बैठे कमलनाथ जी, और सामने खड़े दुःखी परिजन… यह दृश्य किसी भी संवेदनशील व्यक्ति के हृदय को झकझोर देता है। यह उन पीड़ित परिवारों के प्रति अपमान जैसा प्रतीत हुआ।
विडंबना यह भी रही कि कांग्रेस के जिला अध्यक्ष से वे उनके घर जाकर उनके भाई का स्वास्थ्य जानने तो पहुँचे, लेकिन इन मासूमों के परिजनों के घर तक जाने की ज़रूरत नहीं समझी। सवाल उठता है — क्या वे सच्चे संवेदना व्यक्त करने आए थे, या केवल राजनीतिक उपस्थिति दर्ज कराने?