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कोल्ड्रिफ कांड में बड़ा खुलासा: डॉक्टर की पत्नी ज्योति सोनी भी बनी आरोपी, 66 जहरीली सिरप बोतलें अब तक गायब

छिंदवाड़ा. जहरीले कफ सिरप कोल्ड्रिफ से 22 बच्चों की मौत के मामले में जांच लगातार नए मोड़ ले रही है। एसआईटी ने अब डॉक्टर प्रवीण सोनी की पत्नी और “अपना मेडिकल” स्टोर की संचालक ज्योति सोनी को भी सह-आरोपी बनाया है। जांच में खुलासा हुआ है कि ज्योति सोनी ने अपने पति को बचाने के लिए सबूत छिपाने की साजिश में हिस्सा लिया था।

74 में से 66 बोतलें लापता

ड्रग विभाग की रिपोर्ट में सामने आया कि “अपना मेडिकल” स्टोर, जो ज्योति सोनी के नाम से संचालित है, वहीं से जहरीला सिरप बेचा गया था। यहां कार्यरत फार्मासिस्ट सौरभ जैन के साथ मिलकर कुल 74 बोतलों में से 66 बोतलें जांच टीम को नहीं सौंपी गईं। इन्हीं बोतलों में वह जहरीला रसायन पाया गया था, जिससे बच्चों की मौत हुई।

साक्ष्य मिटाने की साजिश का खुलासा

एसआईटी को ड्रग विभाग से मिले प्रतिवेदन में उल्लेख है कि सौरभ जैन और ज्योति सोनी ने जानबूझकर बोतलें छिपाईं, ताकि डॉक्टर प्रवीण सोनी पर से शक हटाया जा सके। यह कार्रवाई साक्ष्य से छेड़छाड़ (Tampering of Evidence) की श्रेणी में आती है। ज्योति सोनी फिलहाल फरार है और पुलिस की टीम उसकी तलाश में दबिश दे रही है।

अब तक सात आरोपी बने

इस केस में अब तक कुल सात आरोपी बनाए जा चुके हैं-

  1. डॉक्टर प्रवीण सोनी
  2. ज्योति सोनी (पत्नी)
  3. फार्मासिस्ट सौरभ जैन
  4. होलसेलर राजेश सोनी
  5. श्रीसन फार्मा के एमआर सतीश वर्मा
  6. कंपनी के डायरेक्टर
  7. एक अन्य डिस्ट्रीब्यूटर

सभी पर एफआईआर दर्ज कर जांच जारी है।

एमआर से पूछताछ में मिले नए सुराग

एसआईटी ने श्रीसन फार्मा के एमआर सतीश वर्मा को चार दिन की रिमांड पर लिया है। वही व्यक्ति जहरीले कोल्ड्रिफ सिरप की मार्केटिंग कर रहा था। पूछताछ में सप्लाई चेन, स्टॉक ट्रांसफर और उत्पादन दस्तावेजों से जुड़े अहम सुराग मिले हैं।

ड्रग विभाग की रिपोर्ट ने खोला सच

प्रारंभिक जांच में यह पुष्टि हुई कि सिरप में डायएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) नामक खतरनाक रसायन मिला हुआ था, जो किडनी को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है। इसी जहरीले तत्व से 22 बच्चों की मौत हुई थी। विभाग ने यह भी बताया कि दूषित बैच को वापस नहीं मंगवाया गया, और कई बोतलें बाजार में बेची जाती रहीं।

प्रशासन की सख्ती, लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया शुरू

घटना के बाद जिला प्रशासन और ड्रग विभाग ने सभी संदिग्ध सिरप स्टॉक्स जब्त कर लिए हैं। जिन मेडिकल स्टोर्स पर अनियमितताएं मिलीं, उनके लाइसेंस निलंबन और रद्दीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जांच एजेंसियां अब इस पूरे नेटवर्क के पीछे की साजिश को उजागर करने में जुटी हैं।

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